Shams-al-Ma'arif |
The Most Dangerous book in the world: Shams al Maarif
अरबी इतिहास की दुनिया की सबसे ख़तरनाक किताब : शम्स-अल-मारिफ़
Sun of Knowledge
इस किताब मे तिलिस्मी जादू के बारे मे वो सब कुछ लिखा है जोकि समाज
मे बुरा समझा जाता है. इसमे तिलिस्मी जादू करने के तरीको के बारे मे विस्तार से सब
कुछ लिखा है. इस किताब मे ज्योतिष, जिन्नों को बुलाने के तरीके, उनसे अपने काम
करवाने के तरीके, और तिलिस्मी ज्ञान के बारे मे लिखा है.
शम्स-अल-मारिफ़ को 13वी सदी मे अहमद-अल-बुनी नाम के इंसान ने
लिखा था. कहा जाता है की अहमद-अल-बुनी एक बहुत बड़ा जादूगर था. अहमद-अल-बुनी का
पूरा नाम अब्बुल अब्बास अहमद इबन अली इबन युसुफ़-अल-क़ुरैशी-अल-बुनी था.
अहमद-अल-बुनी कब और कहा पैदा
हुआ इसकी कोई निश्चित जानकारी नही मिलती है. कहा जाता है की अहमद-अल-बुनी आज के
लाजिरिया के शहर बुना मे 12वी सदी के मध्य मे पैदा हुआ और वह 13वी सदी के मध्य तक
जीया.
अहमद-अल-बुनी ने अपनी ज्यातर ज़िन्दगी उत्तरी अफ्रीका और मिस्र माय
गुज़ारी. अहमद-अल-बुनी के गुरु का नाम मुह्यद्दीन इबन अल-अराबी. अहमद-अल-बुनी पर एक
और गुरु अब्द अल-अज़ीज़-मह्दवी का भी असर था.
अहमद-अल-बुनी एक सूफ़ी संत था. बुनी के मानने वाले बुनियन्न कहलाते
है. अपनी किताब मे अल-बुनी कहता है के इस किताब तिलिस्म और काले जादू की ताकते है.
इस किताब मे कई निशान, चक्र, आकार, अरबी चिन्ह बने है, जिनके बहुत गुप्त और
शक्तिशाली मतलब है, जिनके उपयोग का तरीका भी इस किताब मे दिया गया है. फरिश्तो और जिन्नों
की शक्ति और उन्हें काबू करने का तरीका भी इस किताब मे बताया गया है. इसमें
सितारों और ग्रहों की भाषा पढने का तरीका भी दिया गया है, साथ ही रूहों को बुलाना
उनसे बात करने का तरीका भी इसमे है.
शम्स-अल-मारिफ़ मे कई अलग अलग
डिज़ाइन बने है जिनके कई तरह के उपयोग है. कहा जाता है के इसमे दूसरी दुनिया मे
जाने के दरवाजे खोलने के तरीके भी मौजूद है.
बड़ी बड़ी बीमारियों को दूर करने के तरीके भी इसमे लिखे है, बताया जाता
है की बुखार होने पर किताब मे दिए कुछ संकेतो को लिख कर अगर उन्हें पानी से मिटाया
जाये और उस पानी को रोगी को पिलाया जाये तो रोग पूरी तरह ठीक हो जायेगा.
बिच्छु के काटने पर तांबे के टुकड़े पर अरबी मंत्र लिख कर उसे आग मे
रख दो इससे बिच्छु के काटने का असर खत्म हो जायेगा.
अल-बुनी ने अपनी किताब मे इसे जादू नही कहा है क्योकि जादू को इस्लामी जगत मे बुरा माना जाता है. अल-बुनी ने इसके लिए रुँहानी शब्द इस्तेमाल किया है. क्योकि अल-बुनी एक सूफ़ी संत था तो इस ज्ञान को गलत हाथो मे जाने से बचाने के लिए इस ज्ञान को बड़े और ऊँचे दर्जे के सूफ़ी संतो तक ही सिमित कर दिया.
शम्स-अल-मारिफ़ इन्टरनेट पर उपलब्ध है, जहाँ आज के समय मे इस किताब को
शम्स-अल-मारिफ़ अल-कुबरा कहा जाता है. कहा जाता है के ये किताब असली शम्स-अल-मारिफ़
से बहुत अलग है. इसमे अल-बुनी का लिखा असली ज्ञान गायब कर दिया गया है. आज उपलब्ध शम्स-अल-मारिफ़
को कई लोग पढ़ते है, इसे एक सूफी ज्ञान की किताब माना जाता है.
हो सकता है के जब ये किताब लिखी गई उस समय नए ज्ञान और नई सोच को बुरा माना जाता रहा हो, इसी कारण इस किताब को काले जादू की ऐसी किताब का नाम दे दिया गया हो जिसके बारे मे पढना बात करना भी अपराध बन गया हो.