ताजमहल से जुड़े वो रहस्य जो अपने पहले कभी नही सुने ।

ताजमहल से जुड़े वो रहस्य जो अपने पहले कभी नही सुने ।

 

ताजमहल से जुड़े वो रहस्य जो अपने पहले कभी नही सुने ।

 

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ताजमहल के रहस्य 

1.  ताजमहल बनाने वाले मज़दूरों के हाथ कभी नही कटवाए गए थे। ये एक काल्पनिक कहानी है।  ताजमहल बनवाने के बाद शाहजहा अपने लिए यमुना के दूसरी तरफ एक काला ताजमहल भी बनवाना चाहता था और सफ़ेद और काले ताजमहल को यमुना पर एक पुल बना कर जोड़ना चाहता था पर शाहजहा के बेटे औरंगजेब ने उसे कैद कर लिया और उसका यह सपना कभी सच नही हो सका। काले ताजमहल का अधूरा स्थल आप google earth द्वारा देख सकते है।  ताजमहल बनाने वाले मज़दूरों के वंशज आज भी पुराने आगरा मे ताजमहल के पास वाली बस्तियों मे रहते है।

2.  कहा जाता है की ताजमहल को चमकदार बनाने के लिए उसके संगमरमर को बर्फ़ीले पानी मे रखा जाता था। उसके लिए रोज़ाना हिमालय से बर्फ़ आती थी। बर्फ़ लाने के लिए एक कमाल का तरीका निकाला गया। यमुनोत्री पर बड़े बड़े पेड़ों को काट कर अंदर से खोखला किया जाता था और उनमे बर्फ़ भर कर सील कर के यमुना मे बहा दिया जाता था, बहते हुए वह पेड़ आगरा तक आ जाते जहाँ उन पेड़ों को नदी से बाहर निकाल लिया जाता था।

3.  ताजमहल का इतना विशाल ढ़ाचा आबनूस और महोगनी की लकड़ियों पर खड़ा है। यह एक विशेष लकड़ी है जो पानी की नमी सोख कर मज़बूत बनी रहती है।

4.  ताज के लिए सफ़ेद संगरमर से राजस्थान के मकराना से, Jade और क्रिस्टल चीन से, Lapis अफ़गानिस्तान से, Turquoise तिब्बत से,Jasper पंजाब से, Sapphire श्रीलंका से, Carnelian अरब से लाया गया था। ताजमहल मे 28 तरह के कीमती रत्नो का इस्तेमाल हुआ था। जिनहे 1857 की क्रांति मे अंग्रेज़ो ने निकाल लिया

5.  ताजमहल के सामने लगे सभी फ़वारे बिना किसी मशीन या मोटर के चलते है। हर फ़वारे के नीचे एक टंकी बनी है, सभी टंकिया पानी से एक साथ भरती है जिससे फ़वारे एक साथ काम करते है।

6.  ताजमहल की छत से बारिश के दिनों मे पानी टपकता है। दरअसल यह कोई रहस्य नही बल्कि किसी मजदूर की शरारत थी। जब छत बन रही हो तब एक बिलकुल पतला सूत से बना धागा अगर उस छत मे नीचे से ऊपर के बीच बिछा दिया जाए तो समय के साथ वह धागा गल जाएगा और सीमेंट या चूने के बीच एक महीनसी नाली बन जाएगी जिससे की पानी छत से होते हुए नीचे टपकेगा, यही ताजमहल के साथ हुआ। और समय के जानकारी के अभाव मे यह रहस्य बन गया।

7. ताजमहल दिन मे तीन बार अपना रंग बदलता है। सुबह गुलाबी, शाम को ताजमहल सफ़ेद दिखता है और चाँदनी रात मे सुनहरा दिखता है।

8.   जहाँ से आज लोग ताजमहल को देखते है वो ताजमहल का पिछला हिस्सा है। ताजमहल का मुख्य दरवाजा यमुना नदी की तरफ हुआ करता था जहाँ से शाहजहाँ नाव मे अपने मेहमानों से साथ बैठकर ताज को देखने आता था।

 

9.  सन् 1830 मे ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल विल्लियम बेंटीक्क ने ताजमहल को तोड़ कर उसका सारा संगमरमर लंदन मे बेचने की योज़ना बनाई थी।  उसके सबूत आगरा के किले मे मौजूद है जहाँ शाही हमाम के संगमरमर को तोड़ कर निकाला गया और लंदन मे परीक्षण के रूप मे बेचा गया। पर यह योज़ना सफल ना हो सकी। शाही हमाम से निकले गए टुकड़े आज भी विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूज़ियम लंदन मे आज भी है।

10.   26 जुलाई 1831 को कलकत्ता से प्रकाशित होने वाले अख़बार जॉन बुल मे ताजमहल की नीलामी की ख़बर प्रकाशित हुई। इस नीलामी मे मथुरा के रहने वाले सेठ लक्ष्मीचंद जैन ने ताजमहल की सबसे ऊंची बोली 2 लाख रुपए लगाई। लेकिन अंग्रेज़ो ने इस रकम को कम बता कर नीलामी को स्थगित कर दिया। अंग्रेज़ो ने फिर से नीलामी का आयोजन किया इसबार फिर से सेठ लक्ष्मीचंद जैन ने ताजमहल की सबसे ऊंची बोली 7 लाख रुपए लगाई। पर इस बार भी अंग्रेज़ो ने नीलामी को स्थगित कर दिया। सेठ लक्ष्मीचंद जैन जोकि राजस्थान के टोंक जिले मे स्थित मालपुरा कस्बे के मूल निवासी थे उनके बारे मे कहा जाता है की उनके पास इतना पैसा था की अंग्रेज़ भी उन्हे “जगत सेठ “ और “रॉसचाइल्ड ऑफ इंडिया” कहा करते थे।   

11.   भारत का मशहूर ठग नटवारलाल ताजमहल को तीन बार बेच चुका है। नटवर लाल का असली नाम मिथलेश कुमार श्रीवास्तव था वह पेशे से एक वकील था।

12.   ताजमहल को तीन बार रात मे भी पर्यटकों के लिए खोलने की योजना बनाई गई और ताजमहल के पूरे परिसर मे लाइट लगवाई गई, लेकिन हर बार रहस्यमयी तरीक़े से सभी लाइट ख़राब हो

13.   ताजमहल की असली नकल हुमायु के मक़बरे के रूप मे निज़ामुद्दीन दिल्ली मे स्थित है। हुमायु का मकबरा लाल और सफ़ेद रंग का है और उसमे ताजमहल की तरह मीनारे स्थित नही है।

14.  जॉर्ज हरिसन नाम के व्यक्ति ने ताजमहल के साथ  पहली सेल्फ़ी ली थी

15.   द्वितीय विश्व युद्ध और भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान ताजमहल को बाँस और कपड़े से ढक दिया गया था ताकि उसे दुश्मन के विमानों की नज़र से बचाया जा सके।

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